तन्त्रसाधकक लेल दैनिक कर्म
मिथिलाक परम्परामे तन्त्रक महत्त्व सर्वविदित अछि। एतय तान्त्रिकलोकनि एहि विधिसँ अपन समस्त दैनिक कर्म करैत साधना करैत छथि।Continue Reading
मिथिला आ मैथिलीक लेल सतत प्रयासरत
मिथिलाक परम्परामे तन्त्रक महत्त्व सर्वविदित अछि। एतय तान्त्रिकलोकनि एहि विधिसँ अपन समस्त दैनिक कर्म करैत साधना करैत छथि।Continue Reading
एहि विधिकें मिथिलामे मन्त्र-ग्रहण सेहो कहल जाइत छैक। ई तान्त्रिक परम्परामे दीक्षा थीक। एकरे मिथिलासँ बाहर गुरुमुख होएब कहल जाइत अछि।Continue Reading
एहि दिन मिथिलामे सभसँ पहिने आँगनसँ दरुखा धरि बाट निपबाक प्रथा अछि। भाव ई छैक जे भाइ बाहरसँ औताह तँ हुनका लेल बाट नीपि राखल जाए।Continue Reading
सरस्वतीपूजा मिथिलामे बड प्रचलित अछि। घरे-घरे मूर्ति अथवा फोटोक पूजा होइत अछि। एहि दिन पुरोहितक सर्वथा अभाव रहैत अछि, कारण जे सभ केओ अपनहिं घरमे करए चाहैत छथि। एहि कारणें मैथिल परम्परासँ प्राप्त पूजाविधिक लोप भेल जा रहल अछि।Continue Reading
हमरालोकनि देखि चुकल छी जे 10म शतीसँ 19म शती क पूर्वार्द्ध धरि मिथिलाक्षरक स्वरूप अपरिवर्तित रहल अछि। केवल द अक्षरमे विशेष परिवर्तन भेल जे नागरीक समान रूप छोडि लगभग 15म शतीमे अपन वर्तमान स्वरूपमे आबि गेल।Continue Reading
मिथिलाक पंजी एकटा आनुवंशिक विवरणी थीक, जाहिमे व्यक्तिक परिचयक लेल निम्नलिखित छह सूचना देल गेल अछि- पिता, मातामह एवं माता के मातामहक नाम आ एहि तीनूक मूल-ग्रामक नाम। Continue Reading
भूत आ प्रेत ई दूनू शब्द अंधविश्वास आ डरक पर्याय बनि गेल अछि। भारते नहिं, सम्पूर्ण विश्वमे अनेक खिस्सा-पिहानी गढि कए, “हॉरर” सिनेमा बनाकए खूब व्यापार कएल गेल अछि।Continue Reading
हरिसिंहदेवक पराजय आ हिमालयक जंगल दिस भागि जेबाक तिथिक सम्बन्धमे जे परम्परागत श्लोक वर्तमानमे उपलब्ध अछि से भाषाक दृष्टिसँ ततेक अशुद्ध भए गेल अछि जे ओहि पर विश्वास करब कठिनContinue Reading
जनिक मृत्यु शहरमे होइत छनि आ कोनो नदीक कातमे अंतिम-संस्कार होइत अछि, हुनकामेसँ अधिकांश लोकक लेल अपन परम्पराक पालन चाहिओ कए कठिन भए जाइत छनि।Continue Reading
लगभग 2010 ई. धरि ई पूजा होइत हम देखने छी। एहिमे डमरूक आकारक माँटिक पाँच आकृति, माँटिक दिबारी जकाँ एक आकृति तथा ओकर ढक्कन जकाँ दोसर आकृति एहि प्रकारें कुल सात आकृति बनाए तीन दिन पूजा कएल जाइत छल।Continue Reading