कुतुप आ रोहिण कोन समय थीक? एकर गणना कोना कएल जेबाक चाही?
श्राद्ध आ एकोद्दिष्टक विषयमे कुतुप कालक विचार होइत अछि। एकोद्दिष्ट आदि पितृकर्म कोन तिथिक कोन दिन होएत आ कखनि आरम्भ करबाक चाही तकर विचार करबामे कुतुप आ रोहिण नामक दू मुहूर्तक विचार कएल जाइत अछिContinue Reading
अधपहरा वा अर्द्धप्रहराक गणना केना करी?
मिथिलामे अधपहराक बड़ महत्त्व अछि। एकर विचार यात्रा अथवा आन कोनो शुभकार्यक लेल आवश्यक मानल जाइत अछि।Continue Reading
यात्रामे दिक्शूलक विचार। कोन दिन कोन दिशामे यात्रा नहि करी?
एहिसभ विषयकें आधुनिक लोक दकियानूसी बुझैत छथि। मुदा हमरालोकनिकें बुझबाक चाही जे हमर पूर्वज एकर निर्वाह कए गेल छथि। ई हमरासभक परम्परा थीक।Continue Reading
Judashitala in Mithila
मिथिलामे मेष संक्रान्तिक अगिला दिन जूड़ शीतल पावनि मनाओल जाइत अछि। ई प्रत्येक वर्ष 14-15 अप्रैल कें होइत अछि।Continue Reading
Dhanvantari Jayanti
पुराणों के अनुसार धनतेरस अमृत कलश के साथ भगवान् धन्वन्तरि की उत्पत्ति का दिन है। इस दिन लोग, विशेष रूप से वैद्य, भगवान् धन्वन्तरि की उपासना करते हैं और उनकी कृपा से सभी लोगों के स्वस्थ रहने की प्रार्थना करते हैं।Continue Reading
व्रत-विधि आ ओहिमे प्रतिनिधिक विधान
जँ व्रत अथवा उपासक संकल्प कए लेल गेल छैक तँ अशौचहुमे व्रत-उपास, पूजा-पाठ आदि करबाक विधान कएल गेल छैक।Continue Reading
छठि पूजा विधि एवं व्रतकथा
सन्ध्याकाल नदी अथवा पोखरिक कछेर पर जाए अपन नित्यकर्म कए अर्थात् सधवा महिला गौरीक पूजा कए आ विधवा विष्णुक पूजा कए पश्चिम मुँहें सूर्यक दिस देखैत कुश, तिल आ जल लए संकल्प करी-Continue Reading
मैथिलीमे छठि व्रतक मैथिल साम्प्रदायिक कथा
परम्परासँ व्रतकथा संस्कृतमे होइत अछि। एखनहु अनेक ठाम पुरोहित रहैत छथि आ ओ विधानपूर्वक पूजा कराए कथा कहैत छथिन्ह। जँ सम्भव हो तँ ओकरे उपयोग करी।Continue Reading
Dr. S.N.P. Sinha
Dr. SN P. Sinha has been the Vice Chancellor of Patna University. Prior to this he was a teacher in the Department of Pharmacology and Therapeutic in various capacities, tutor, associate professor and Prof & Head of the Department, Patna Medical College.Continue Reading
Asato ma sadgamaya
प्रस्तुत संकलन डा. एस. एन. पी. सिन्हा द्वारा लिखित एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में पूर्व प्रकाशित आलेखों, संस्मरणों, भेंटवार्ताओं एवं विभिन्न अवसरों पर दिये गये व्याख्यानों का दूसरा संकलन है।Continue Reading