सामा-चकेबाक सम्पूर्ण कथा
सामा-चकेबाक सम्पूर्ण कथा कतहु ने तँ पुराणमे भेटैत अछि आ ने लोककथे मे। एकर मूलस्रोत भविष्य-पुराणक सूर्योपासनाक प्रसंग में अछि,Continue Reading
मिथिलामे बहुत रास पाबनि-तिहार एहि ठामक स्थानीय परम्परा थीक, जे भारतमे आन ठाम कतहु नै होइत अछि। चौरचन, सामा-चकेबा, घाँटो आदि पाबनि तँ केवल मिथिलेमे होइत अछि। जँ एहि नाम सँ आनठाम कतहु होइतो छैक तँ ओकर स्वरूपमे भिन्नता छैक। संगहि एकर सभटा पाबनि एकर अपन भौगौलिक आ सांस्कृतिक स्वरूपक अनुरूप विकसित भेल अछि। एहिमे सँ बहुत रास पाबनि आइ बिसरा रहल अछि मुदा दोसर दिस सिनेमा आ अन्कय संचार-माध्र्यमक प्रभावसँ करबा-चौथ सनक अनदेसी पाबनि आबि तुला रहल अछि।
मिथिलाक बहुत रास पाबनि-तिहारमे पारम्परिक कथा संस्कृतमे अछि जे मिथिलाक विभिन्न वर्षकृत्यमे देल गेल अछि। एहिमेसँ बहुत रास कथाक मैथिली अनुवादक अपेक्षा छैक, जाहिसँ संस्कृत भाषाक उच्चारण सँ अनभिज्ञ आ विशेष कए महिलालोकनि स्वयं एकरा पढि पाबनि-तिहार सम्पन्न कए सकथि। जितिया, छठि आदि पाबनिक कथा एतए मैथिलीमे सेहो भेटत। इंटरनेट पर उपलब्ध होएबाक कारणें मोबाइलो पर एकरा पढल जा सकैत अछि।
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सामा-चकेबाक सम्पूर्ण कथा कतहु ने तँ पुराणमे भेटैत अछि आ ने लोककथे मे। एकर मूलस्रोत भविष्य-पुराणक सूर्योपासनाक प्रसंग में अछि,Continue Reading
मिथिलामे सेहो बहुत गाममे पीपरक गाछ तर हनुमानजीक ध्वजाक स्थापित होइत अछि। ई ध्वज यद्यपि कोनो शनि अथवा मंगल दिनकें स्थापित कएल जा सकैत अछि मुदा रामनवमी एवं हनुमान-जयन्तीकें स्थापित करब विशेष फलदायक होइत अछि।Continue Reading
अथ कथा प्राप्ते श्रीरामनवमीदिने मर्यो विमूढधीः। उपोषणं न कुरुते कुम्भीपाकेषु पच्यते।।।1।।Continue Reading
सोना अथवा माँटिक प्रतिमा बनवा कए भोरेमे नित्यकर्म सम्पन्न कए आचमन करी। तकर बाद तामाक सराइ लए उत्तर मुँहें ठाढ भए सोना अथवा माँटिक प्रतिमा बनवा कए भोरेमे नित्यकर्म सम्पन्न कए आचमन करी। Continue Reading
एहि पद्धतिक दू टा पाण्डुलिपि हमरा लग उपलब्ध अछि। एकटामे कथाक संग संक्षिप्त पद्धति देल छैक आ दोसरमे कथाक संग विस्तृत पद्धति अछि।Continue Reading
एहि दिन मिथिलामे सभसँ पहिने आँगनसँ दरुखा धरि बाट निपबाक प्रथा अछि। भाव ई छैक जे भाइ बाहरसँ औताह तँ हुनका लेल बाट नीपि राखल जाए।Continue Reading
सरस्वतीपूजा मिथिलामे बड प्रचलित अछि। घरे-घरे मूर्ति अथवा फोटोक पूजा होइत अछि। एहि दिन पुरोहितक सर्वथा अभाव रहैत अछि, कारण जे सभ केओ अपनहिं घरमे करए चाहैत छथि। एहि कारणें मैथिल परम्परासँ प्राप्त पूजाविधिक लोप भेल जा रहल अछि।Continue Reading
लगभग 2010 ई. धरि ई पूजा होइत हम देखने छी। एहिमे डमरूक आकारक माँटिक पाँच आकृति, माँटिक दिबारी जकाँ एक आकृति तथा ओकर ढक्कन जकाँ दोसर आकृति एहि प्रकारें कुल सात आकृति बनाए तीन दिन पूजा कएल जाइत छल।Continue Reading
मिथिलामे मेष संक्रान्तिक अगिला दिन जूड़ शीतल पावनि मनाओल जाइत अछि। ई प्रत्येक वर्ष 14-15 अप्रैल कें होइत अछि।Continue Reading
पुराणों के अनुसार धनतेरस अमृत कलश के साथ भगवान् धन्वन्तरि की उत्पत्ति का दिन है। इस दिन लोग, विशेष रूप से वैद्य, भगवान् धन्वन्तरि की उपासना करते हैं और उनकी कृपा से सभी लोगों के स्वस्थ रहने की प्रार्थना करते हैं।Continue Reading