लिंग पुराण के इसी अंश को त्रिस्थलीसेतु में नारायण भट्ट ने ज्ञानवापी माहात्म्य में उद्धृत किया है। इसका अर्थ है कि 12वीं शती से पहले से वह कूप अविमुक्तेश्वर महादेव के दक्षिण भाग में अवस्थित था जो बाद में ज्ञानवापी के नाम से विख्यात हुआ और अविमुक्त महादेव विश्वेश्वर शिव के रूप में विख्यात हुए जो बाद में विश्वनाथ कहलाये।Continue Reading

Sanatana religion

Under this Sanatan Dharma, Vedas, Vedanga, Smriti, Agam, Purana, religious literature written in all folk languages and all the texts created in Sanskrit come together, which has had an effect on Indian society. In the following articles, we will see how the same principles have been originally formulated throughout this vast tradition.Continue Reading

gyanvapi

भगवान् शिव ने स्वयं त्रिशूल से खोदकर ज्ञानवापी का निर्माण किया था। विश्वेश्वर शिवलिंग का अभिषेक के लिए स्वयं ईशान शिव ने अपने त्रिशूल से ज्ञानवापी का निर्माण किया था। स्कन्द पुराण में यह प्रसंग आया है कि एकबार ऋषियों ने स्कन्द से ज्ञानवापी की महिमा बतलाने के लिए कहा।Continue Reading

Civil disobedience movement in Madhubani and Rajnagar

मधुबनी सदर आ राजनगरमें कांग्रेसक मजबूतीक संकेत भेटैत अछि। 1932ई. में मधुबनीक कांग्रेसी कार्यकर्ता बर्माक किराशन तेलक बहिष्कार सेहो कएने रहथि। बर्मा-शेल वाइल स्टोरेज एंड डिस्ट्रीब्यूटिंग कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड किरासनक बिक्री करैत छल। मधुबनीमे एकर बहिष्कार भेल छल। Continue Reading

बी.एच.यू की स्थापना

वाराणसी-विद्यापरिषद् की योजनाको स्वर्गीय महाराजाधिराज रमेश्वरसिंह बहादुरने स्वयं अपने दस्तखतोंसे उपस्थित किया था। भारत-गवर्नमेन्टने इन तीनों योजनाओंके पेश होनेपर यह मत प्रकट किया कि, तीनों जबतक एकमत होकर हमारे सम्मुख नहीं आयेंगे, तबतक विश्वविद्यालयकी राजाज्ञा नहीं दी जायेगी। Continue Reading

होएत। एतए पंचमी विभक्ति मानि सीताकेँ मेनकाक पुत्री सिद्ध करबाक लेल जे कथा प्रचलनमे अछि से आदरणीय नहि। सीतायाः सदृशी भार्या त्रयमेकत्र दुर्लभम् मे सेहो सीताक समान भार्याक बात कहल गेल अछि। तें उपर्युक्त पंक्ति “प्राप्स्यस्यपत्यमस्यास्त्वं सदृशं रूपवर्चसा” मे अस्या शब्दमे पंचमी विभक्ति मानि सीताकेँ मेनकाक संतान मानब अनुचित अछि। तेँ एतए सादृश्यमे षष्ठी विभक्ति मानल जाएत। Continue Reading

जानकीक प्रादुर्भाव मिथिलाक भूमिसँ भेल छल। ताहि लागिसँ एतएक लोककेँ हुनका प्रति विशेष समादर भाव उचिते। खासकए जानकीनवमी दिन अनेक ठाम हिनकर पूजनोत्सव कएल जाइत अछि जे पुरान परम्परा थिक। पन्द्रहम शताब्दीमे म.म. रुद्रधर उपाध्याय वर्षकृत्यमे जानकीपूजाक विधान देने छथि। 1938 ई.मे पं. जीवानन्द ठाकुर ‘जानकीपूजापद्धति’ लिखलनि आ 1939 ई.मे अद्भुत रामायणक जानकी सहस्रनाम छपओलनि। Continue Reading

Rameshvar Singh of Darbhanga

कांची के मदुरै में आयोजित सभा में त. शं. नारायण शास्त्री ने कहा था कि “आज भारतवर्ष में धार्मिक पतन को रोकने में केवल दरभंगा के राजा रमेश्वर सिंह एवं परमात्मा ईश्वर समर्थ हैं, अन्य कोई नहीं…”Continue Reading

Gandhi in Mithila

मुदा गाँधीजी एहेन परिस्थितिमे उत्तर बिहारक यात्रा कएलनि। अपेक्षा छल जे एहि ठामक जनताक सहायताक लेल ओ किछु ठोस काज करितथि। मुदा स्थिति एकर विपरीत रहल।
ओ बिहारक अनेक स्थान पर घुमलाह, भाषण देलनि, चंदा एकत्र कएलनि। आरम्भमे घोषणा कएलनि जे जे किछु जमा होएत तकर आधा भूकम्प राहत कार्यक लेल लगाओल जाएत आ आधा हरिजन मदमे देल जाएत। मुदा अपन घोषणाक विपरीत जखनि 8,833 रुपया जमा भेल तँ 4,000 रुपया हरिजन फंडमे देलनि।Continue Reading